प्रेमी पागल का प्रेमालाप

प्रेमी- मैं पागल हो रहा हूं।
प्रेमिका- होश में आ जाओ।
प्रेमी- नहीं पागल रहने दो।
प्रेमिका- फिर बातें कैसी होंगी।
प्रेमी- क्या करना है बातों का।
प्रेमिका- और वादों का?
प्रेमी- टूट जाते हैं। सुना नहीं तुमने।
प्रेमिका- किससे?
प्रेमी- ज़माने से।
प्रेमिका-तुम पागल हो।
प्रेमी- तो रहने दो।
प्रेमिका- नहीं। होश में आओ।
प्रेमी- दुनिया का डर है।
प्रेमिका- पागल को डर भी लगता है।
प्रेमी- हां। दुनिया पागल है।
प्रेमिका- मैं पागल से डरती हूं।
प्रेमी- मैं तुमसे डरता हूं।
प्रेमिका- मुझसे?
प्रेमी- तुम पागल नहीं हो।
प्रेमिका- मैं क्यों पागल बनूं?
प्रेमी- तो फिर प्रेम कैसे करोगी?
प्रेमिका- मुझे दुनिया का डर नहीं
प्रेमी- और पागल से डरती हो
प्रेमिका- क्योंकि पागल दुनिया से डरता है।

4 comments:

Monika said...

ek bhi comment nahi
kyon, kisi ko samajh nahi aaya kya?
vaise sach kahoon to mujhe bhi nahi aaya

Dr. sarita soni said...

ravish ji bahut aacha apko to samvado ki bahut aachi knowledge hai apke anubhavo ke khajane me aur kaya kaya hai
waiting to find out

Rajesh Roshan said...

खूब लुका छिपी करते हैं आप

इष्ट देव सांकृत्यायन said...

प्रयोग बढिया है.